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कुंडली में धन योग

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कुंडली में धन योग। कुंडली में धन योग का मतलब है ऐसा योग या संयोजन जो जातक को धन, समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के धन योग बताए गए हैं, जो विभिन्न ग्रहों और भावों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख धन योगों का वर्णन किया गया है: 1. धन योग: यदि कुंडली में द्वितीय भाव (धन भाव) या ग्यारहवें भाव (लाभ भाव) का स्वामी केन्द्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (1, 5, 9) में स्थित हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो यह धन योग बनाता है। लग्नेश का लाभेश या धनेश के साथ संबंध भी धन योग का निर्माण करता है। 2. लक्ष्मी योग: यदि कुंडली में नवम भाव (भाग्य भाव) का स्वामी केन्द्र में हो और यह स्वयं बलवान हो, तो लक्ष्मी योग बनता है। इस योग से व्यक्ति को धन, संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 3. धन धान्य योग: यदि द्वितीय और ग्यारहवें भाव का स्वामी परस्पर केंद्र या त्रिकोण में हो और शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो, तो यह योग अत्यधिक धन की प्राप्ति कराता है। 4. चन्द्र-मंगल योग (लक्ष्मी नारायण योग): यदि चन्द्रमा और मंगल का योग केंद्र या त्रिकोण में हो, तो ...

वशीकरण का खेल

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वशीकरण की आड़ में लूट और शोषण  वशीकरण के लिए काफी परुष और महिलाएं मुझ से सम्पर्क करते हैं जिन्हे मैं हमेशा यही समझाता हूं की वशीकरण की कोई भी क्रिया, उपाय या टोटका ज्योतिष या तांत्रिक के द्वारा बताया गया मन्त्र या उपाए किसी भी दूसरे के लिए कार्य नहीं करता हैं वाशीकरणएक ऐसी विद्या हैं जिसमे आपको स्वयं ही करनी होंगी आजकल बहुत से ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि मात्र 12 घटे या 48 घंटे में प्रेमिका या प्रेमी को वश में कराए जो ऐसा कभी भी नहीं होता हैं ऐसे दवा करने वाले तांत्रिक या ज्योतिष वाशीकरण करवाने आए हुए लोगों को ही वश में करते हैं जिससे वाशीकरण करवाने वाला पुरुष या महिला स्वयं ही बेसुध हो जाते हैं और जब पूरी तरह से लुट जाते हैं तो वाशीकरण का सारा भुत उत्तर जाता हैं ये बात मैं 💯% तथ्य के आधार पर कह रहा हूं क्योंकि मेरे 36 वर्ष के ज्योतिष अनुभव में मैंने हजारों लोगों को समझाया कि ये साधना आपको स्वयं ही करनी होंगी तभी फलित होंगी. क्योंकि कोई भी सच्चा साधक ऐसे वशीकरण करने का दवा कभी नहीं करता हैं क्योंकि जो साधक होता हैं वो गुरु के मार्गदर्शन में ही साधना ये संकल्प के साथ करता...

सूर्य सिद्धांत

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सूर्य सिद्धांत के आधर पर कच्छप अवतार का ज्योतिषीय और वैज्ञानिक परिपेक्ष्य में डीप स्टडी करते हुए शोधात्मक लेख विश्लेषण और विवेचना  मुख्य बिंदु: शोध सुझाव देता है कि सूर्य सिद्धांत और कच्छप अवतार के बीच प्रतीकात्मक और ज्योतिषीय संबंध हो सकते हैं, लेकिन सीधा सबूत सीमित है। कच्छप अवतार, समुद्र मंथन में स्थिरता का प्रतीक, सूर्य सिद्धांत के समय और संतुलन के विचारों से जुड़ा हो सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, कच्छप अवतार खगोलीय संरचनाओं की स्थिरता का प्रतीक हो सकता है, लेकिन यह व्याख्या विवादास्पद है। सूर्य सिद्धांत और कच्छप अवतार का परिचय: सूर्य सिद्धांत एक प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्रीय ग्रंथ है, जो ग्रहों की गति और समय की गणना जैसे विषयों को कवर करता है। कच्छप अवतार भगवान विष्णु का दूसरा अवतार है, जो समुद्र मंथन के दौरान मंद्र पर्वत को स्थिर रखने के लिए प्रकट हुआ। यह अवतार स्थिरता और संतुलन का प्रतीक है। ज्योतिषीय परिपेक्ष्य: यह प्रतीत होता है कि कच्छप अवतार सूर्य सिद्धांत में वर्णित कालचक्र और ग्रहों के संतुलन से जुड़ा हो सकता है। उदाहरण के लिए, कछुए का कवच खगोलीय गोले का ...

वैदिक शास्त्रों के नियम

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कभी ज़रा अपने शास्त्रों को पढ़ कर देखना । देखना उसमें क्या लिखा है !  सबसे ज़्यादा नियम , कानून , restrictions , विधि , निषेध , यह नहीं करना है , वह नहीं करना है , ऐसा करना है , वैसा करना है , ऐसे बैठना है , ऐसे चलना है , ऐसे सोना है , यह खाना है , यह नहीं खाना है , यहाँ बैठना है , यहाँ नहीं बैठना है इत्यादि ब्राह्मणों के लिए बनाये गए हैं , इसके बाद क्षत्रियों के लिए , फिर वैश्यों के लिए और शूद्रों के लिए तो मात्र 10% ही नियम है ।  एक ब्राह्मण को यग्योपवीत होने के बाद क्या खाना है , क्या पीना है , कैसे रहना है , कितना खाना है , कब उठना है , कब बैठना है , कब स्नान करना है , कौन से दिन क्या खाना है , कैसे रहना है इत्यादि पढ़कर आप फफक फफक कर रोने लगेंगे ।  पागल हो जायेंगे आप !  इतना ही नहीं द्विज , पुरोहित , विप्र , आचार्य सबके लिए अलग अलग नियम । और जो ब्रह्मचारी और सन्यासी हो जाता है उसके लिए तो कठोरतम नियम है । इसके हाथ का नहीं , इस अग्नि पर नहीं , इस दिशा में नहीं , इस स्थान पर नहीं , पृथ्वी पर पैर रखते वक्त कौन सी नाड़ी , इस दिशा में चलते वक़्त कौन सी नाड़ी ...

हनुमानजी कौन हैं...?

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*हनुमान जी कौन हैं ?* पार्वती जी ने शंकर जी से कहा - भगवन अपने इस भक्त को कैलाश आने से रोक दीजिए, वरना किसी दिन मैं इसे अग्नि में भस्म कर दूंगी।  यह जब भी आता है, मैं बहुत असहज हो जाती हूँ। यह बात मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। आप इसे समझा दीजिए, यह कैलाश में प्रवेश न करें।  शिव जी जानते थे कि पार्वती सिर्फ उनके वरदान की मर्यादा रखने के लिए रावण को कुछ नहीं कहती हैं।  वह चुपचाप उठकर बाहर आकर देखते हैं। रावण नंदी को परेशान कर रहा है। शिव जी को देखते ही वह हाथ जोड़कर प्रणाम करता है। प्रणाम महादेव। आओ दशानन कैसे आना हुआ ?   मैं तो बस आप के दर्शन करने के लिए आ गया था महादेव।  अखिर महादेव ने उसे समझाना शुरू किया। देखो रावण तुम्हारा यहां आना पार्वती को बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसलिए तुम यहां मत आया करो। महादेव यह आप कह रहे हैं। आप ही ने तो मुझे किसी भी समय आप के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आने का वरदान दिया है।  और अब आप ही अपने वरदान को वापस ले रहे हैं। ऐसी बात नहीं है रावण।  लेकिन तुम्हारे क्रिया कलापों से पार्वती परेशान रहती है और किसी दिन...

श्री हनुमान ज्योतिष

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हनुमान ज्योतिष एक प्राचीन भारतीय ज्योतिषीय प्रणाली है, जो वैदिक ज्योतिष के सिद्धांतों, खगोलीय गणनाओं, गणितीय विश्लेषण, और पौराणिक मान्यताओं का समन्वय करती है। यह विशेष रूप से हनुमान जी की भक्ति और उनके आध्यात्मिक प्रभाव को जोड़कर ज्योतिषीय फलादेश और उपाय प्रदान करती है। नीचे इसके सिद्धांतों, रहस्यों, और वैज्ञानिक-पौराणिक आधार पर उदाहरण सहित विश्लेषण प्रस्तुत है: 1. हनुमान ज्योतिष के सिद्धांत हनुमान ज्योतिष वैदिक ज्योतिष पर आधारित है, लेकिन इसमें हनुमान जी की कृपा और उनके द्वारा प्रदत्त शक्ति को विशेष महत्व दिया जाता है। इसके प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं: - **ग्रहों का प्रभाव और हनुमान की शक्ति**: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नौ ग्रह (नवग्रह) मानव जीवन को प्रभावित करते हैं। हनुमान ज्योतिष में यह माना जाता है कि हनुमान जी की भक्ति से ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है, विशेष रूप से शनि, मंगल, और राहु-केतु के। - **कुंडली विश्लेषण**: जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दशा-अंतर्दशा, और गोचर का विश्लेषण किया जाता है। हनुमान जी की पूजा और मंत्र जाप को उपाय के रूप में सुझाया ज...

वैवाहिक संबंध में योनि कूट दोष का प्रभाव

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जय श्रीराम ।।           वैवाहिक संबंध में योनि कूट दोष का प्रभाव          =========================    कुंडली में योनि क्या है? ================ वैदिक ज्योतिष में लोग वर और वधू दोनों की कुंडली मिलाते हैं। मूल रूप से, यह अष्टकूट के अनुसार किया जाता है। अष्टकूट को आठ भागों में विभाजित किया गया है जो आगे छत्तीस गुणों में विभाजित हैं। इसलिए, यह योनि संगतता चार्ट उनके विवाहित जीवन में युगल की अनुकूलता की भविष्यवाणी करता है। इसके अलावा, अष्टकूट के अनुसार, यदि अठारह से अधिक गुण मेल खाते हैं, तो युगल विवाह के लिए उपयुक्त जोड़ी है। अष्टकूटों के अनुसार, योनि कूट कुंडली मिलान का चौथा पहलू है। ज्योतिषी वर और वधू की कुंडली में योनि का मिलान करके भागीदारों के बीच समग्र अनुकूलता का अनुमान लगाते हैं। इसके अलावा, यह यौन या शारीरिक आकर्षण के संदर्भ में भी होता है। कुंडली में योनि कूट हमें संतान की अनुकूलता, सामंजस्य और स्वास्थ्य के बारे में बहुमूल्य जानकारी देता है।      कुंडली में योनि कूट का महत्व ===================...