कुंडली में धन योग
कुंडली में धन योग। कुंडली में धन योग का मतलब है ऐसा योग या संयोजन जो जातक को धन, समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाएँ प्रदान करता है। वैदिक ज्योतिष में कई प्रकार के धन योग बताए गए हैं, जो विभिन्न ग्रहों और भावों के संयोजन से उत्पन्न होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख धन योगों का वर्णन किया गया है: 1. धन योग: यदि कुंडली में द्वितीय भाव (धन भाव) या ग्यारहवें भाव (लाभ भाव) का स्वामी केन्द्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (1, 5, 9) में स्थित हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो यह धन योग बनाता है। लग्नेश का लाभेश या धनेश के साथ संबंध भी धन योग का निर्माण करता है। 2. लक्ष्मी योग: यदि कुंडली में नवम भाव (भाग्य भाव) का स्वामी केन्द्र में हो और यह स्वयं बलवान हो, तो लक्ष्मी योग बनता है। इस योग से व्यक्ति को धन, संपत्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। 3. धन धान्य योग: यदि द्वितीय और ग्यारहवें भाव का स्वामी परस्पर केंद्र या त्रिकोण में हो और शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो, तो यह योग अत्यधिक धन की प्राप्ति कराता है। 4. चन्द्र-मंगल योग (लक्ष्मी नारायण योग): यदि चन्द्रमा और मंगल का योग केंद्र या त्रिकोण में हो, तो ...